Friday, December 24, 2010

२५ दिसंबर, दोहरी ख़ुशी का दिन....

 {दोनों चित्र गूगल से साभार}

    
                      समस्त सम्माननीय आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव की ओर से क्रिसमस पर्व की ढेर सारी शुभकामनायें, मै प्रभु यीशु से प्रार्थना करता हूँ की वे संसार के प्रत्येक प्राणी को शुख, समृद्ध एवं स्वस्थ जीवन प्रदान करें | आज का दिन मेरे लिए दोहरी ख़ुशी का दिन है जहाँ एक ओर हम सभी उत्साह के साथ क्रिसमस का पर्व मना रहे हैं वहीँ आज २५ दिसंबर को ही मेरे आदर्श, मेरे प्रेरणाश्रोत एक व्यक्तित्व जिनसे मै बचपन से ही बेहद प्रभावित रहा ऐसे परम श्रद्धेय भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन भी है | आज का यह दिन वाकई बेहद महत्वपूर्ण है जहाँ आज के दिन त्याग और बलिदान की प्रेरणा देने वाले प्रभु यीशु का जन्म हुआ वहीँ एक सच्चे राष्ट्रवादी अटल जी का भी जन्मदिवस आज सम्प्रति राष्ट्र मना रहा है | अटल जी का व्यक्तित्व, उनका जीवन, उनकी वाणी उनके कार्य वाकई आज की युवा पीढ़ी के लिए आदर्श है |
                                                      हे प्रभु ! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना 
                                                                गैरों को गले लगा न सकूँ 
                                                               इतनी रुखाई कभी मत देना..
                    श्रद्धेय अटल जी के ये शब्द उनकी ऊंचाई का आयाम है उनके भाषणों में, उनकी वाणी में उनके व्यक्तित्व में एक संवेदनशील कवी मुखरित होता रहा है एक ऐसा कवी जिसे हर भेदभाव से मुक्त मानव मात्र की पीड़ा दिखाई देती है | विरोधी भी जिनकी भूरी भूरी प्रसंसा करते हैं, जिनके व्यव्हार को आदर्श राजनीतिज्ञ का व्यव्हार माना जाता है, जिन्होंने देश को एक नयी दशा और दिशा प्रदान की, भारत को विश्व समुदाय में सार्थक एवं प्रभावी स्थान दिलाया, जिन्होंने विकास की एक नयी परिभाषा गढ़ी, जिन्होंने भारतीयता को एक नया आयाम दिया, जिन्होंने राष्ट्रभाषा हिंदी को विश्व मंच में सम्मान दिलाया, नैतिक मूल्यों एवं सिद्धांतों को राजनीती में स्थापित किया ऐसा महान व्यक्तित्य आज समूचे विश्व में अटल जी के अतिरिक्त और कोई नहीं है वे वाकई में अद्वितीय है | पाने और खोने की अभिलाषा से दूर उन्हें केवल देश के विकास की चिंता रही तभी वे कहते हैं - 
                                                             क्या खोया क्या पाया जग में,
                                                              मिलते और बिछड़ते मग में.
                                                              नहीं शिकायत मुझे किसी से,
                                                              यद्यपि छला गया पग पग में.
आज वह दिन अनायाश ही मुझे याद आ रहा है जब छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव के अवसर पर कुछ ही पलों के लिए सही पर उनसे मिलने का अवसर मिला उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला वाकई उनकी स्मृति चिर स्थायी है | आज के परिवेश में जहाँ राजनेताओं में राष्ट्र के लिए कुछ करने की सोच कम अपने लिए अधिकतम करने की सोच बलवती है वहां आज उनके सक्रिय राजनीती में न होने पर उनकी कमी महसूस होती है| उनके ये शब्द -
                                                       देखा था ख्वाब जो आज हर धड़कन में है,
                                                       एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है. 
हमें उनके मार्गों में चलने उनसे प्रेरणा लेने का सन्देश देते हैं ईश्वर उन्हें दीर्घायु शतायु स्वस्थ जीवन प्रदान करें यही आज मेरी प्रार्थना है| अंत में मै पुनः सभी को क्रिसमस एवं आदरणीय अटल जी के जन्मदिन की बधाई देता हूँ एवं श्रद्धेय अटल जी को शत शत प्रणाम करता हूँ |