Sunday, May 22, 2011

अपमान तिरंगे का............ आखिर दोषी कौन ?

समस्त आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा "भारतीय" की ओर से सादर प्रणाम....
                         आज बड़े दिनों के बाद आप सब के समक्ष उपस्थित होने का अवसर मिला है, देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ | 
{ऐसे शर्मनाक हरकतों को अंजाम देते समय कहाँ चली जाती है हमारी देशभक्ति }
             तिरंगा..........जो हमारा राष्ट्रध्वज है, हमारी आन बान और शान का प्रतिक है, किसी भी देश का राष्ट्रध्वज उस देश के मान सम्मान और अस्मिता का प्रतिक होता है,  वह केवल ध्वज नहीं वरन देशवासियों के भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है | पर बाअफ़सोस मुझे आज कहना पड़ रहा है की हम उसी तिरंगे के सम्मान करने के लायक नहीं रह गए हैं, हमारी देशभक्ति की भावना केवल राष्ट्रीय पर्वों में ही जागृत होती है और हम बड़े शान से तिरंगे से अपने चौक चौराहे और नगर को पाट देते हैं और राष्ट्रीय पर्वों के बाद..........हमारी देशभक्ति, हमारी राष्ट्रीयता की भावना न जाने कहाँ गुम हो जाती है और हम गाहे बगाहे उसी तिरंगे का अपमान करते फिरते है जिसे हमने ही बड़े शान से लगाया है |
{जरा सोचिये क्या वाकई हम "भारतीय" कहलाने के लायक है ?}
              समस्त आत्मीय जनों को मै बताना चाहता हूँ यह तस्वीर कल मैंने अपने नगर रायपुर के एक प्रतिष्ठित माने जाने वाले इलाके से ली है जहाँ मुक्कड़ पर भारत के राष्ट्रध्वज को बड़ी संख्या में आपत्तिजनक स्थिति में डाल दिया गया था | इसकी सुचना जब हमने खबर छत्तीसी ब्लॉग न्यूज़ {http://khabarchhattisi.blogspot.com/} एवं स्थानीय प्रशासन को दी तो उन्होंने इसे बड़ी तत्परता के साथ मुक्कड़ से उठाया | मै स्थानीय पार्षद महोदय एवं नगर निगम के अधिकारीयों को इसके लिए साधुवाद देता हूँ | प्रश्न यह है की आखिर राष्ट्रध्वज को मुक्कड़ में डालने का घिनौना हरकत कोई भी व्यक्ति कर कैसे सकता है ? क्या हमारी देशभक्ति मर गयी है या हमारी आस्था अब भारत में नहीं रह गयी है ? ऐसी तस्वीरें आजकल कमोबेश हर जगह आसानी से देखी जा सकती है |
                  जाने अनजाने में तिरंगे का अपमान हो रहा है कोई राष्ट्र ध्वज को मुक्कड़ में फेक रहा है तो कोई तिरंगे वाला केक काट रहा है | हमें इस बात पर अवश्य विचार करना चाहिए की आखिर ऐसा होता क्यों है ? आखिर क्यों हम राष्ट्र ध्वज को व्यवसाय का रूप देने में लगे हुए हैं ? मेरा शाशन प्रशासन में बैठे जिम्मेदार लोगों से यह प्रश्न है की आखिर क्यों हम कागज और झिल्लियों में बने तिरंगे पर पूर्ण प्रतिबन्ध नहीं लगाते जिससे इस प्रकार राष्ट्र ध्वज के अपमान को रोका जा सके ? साथ ही मै आम जन से भी विनम्र अपील करना चाहता हूँ की "मित्रों, तिरंगा हमारी आन बान और शान है और इसका स्थान सबसे ऊंचा ही अभीष्ट है. बेशक हम इसका इस्तेमाल गर्व से करें यह हमारा अधिकार है. लेकिन इसे इसे गर्व के साथ रखें भी, क्योंकि यही हमारा कर्तब्य है."
जयहिंद