Friday, May 31, 2013

क्या ऐसे ख़त्म होगा नक्सलवाद...

क्या ऐसे ख़त्म होगा नक्सलवाद...


- गौरव शर्मा "भारतीय"

प्रदेश में हुए नक्सली हमले के बाद एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप, बैठकों व आश्वासनों का दौर प्रारंभ हो गया है। कांग्रेसी राज्य सरकार पर परिवर्तन यात्रा को पर्याप्त सुरक्षा न देने का आरोप लगा रहे हैं वहीँ मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह कांग्रेसियों को ऐसे मामले पर राजनीति न करने की सलाह दे रहे हैं। तमाम गतिविधियों के बीच नक्सलवाद के सफाए का मुद्दा एक बार फिर गौण हो गया है। राज्य सरकार सर्वदलीय बैठक व विधानसभा के वशेष सत्र के माध्यम से नक्सलवाद के खिलाफ रणनीति तय करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने इस बैठक का ही बहिष्कार कर दिया है। प्रश्न यह है कि क्या सर्वदलीय बैठक, विधानसभा का विशेष सत्र या दो चार अधिकारियों पर कार्रवाई से नक्सलवाद समाप्त होगा ? कांग्रेसी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री इस्तीफ़ा दें, क्या उनके इस्तीफे से नक्सलवाद की समस्या समाप्त होगी या कांग्रेस के दिवंगत नेता वापस आ जाएंगे ? यक्ष प्रश्न है कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए और कितनी घटनाओं का इंतजार किया जा रहा है? इस हमले ने जितने प्रश्न राज्य सरकार के समक्ष खड़े किये हैं उतने ही प्रश्न केंद्र के समक्ष भी है। सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय कटघरे में खड़ा है कि नक्सल प्रभावित राज्य सरकारों के साथ समन्वित रणनीति बनाकर कार्य क्यों नहीं किया जा रहा है? हकीकत यह है कि 1967 से लेकर 2013 तक नक्सलवाद पर बातें तो खूब की गई किन्तु आज तक केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा स्पष्ट रणनीति नहीं बनाई जा सकी जिससे नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में निरंतर प्रयास किया जा सके। नक्सलियों ने तब से लेकर अबतक स्वयं को ताकतवर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया पर हमारी सरकारें कमजोर ही साबित हुईं। नक्सलवाद से लड़ाई के नाम पर आज भी तीर कमान लिए आदिवासियों की कल्पना की जाती है जबकि नक्सली रॉकेट लांचर तक बना चुके हैं। पुलिस के जवानों से अपेक्षा की जाती है कि कई साल पुराने हथियार लेकर वे एके 47 व 56 जैसे अत्याधुनिक हथियारों का सामना करें। आखिर यह कैसे संभव है? जब तक जवानों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण, बेहतर संवाद व्यवस्था व उनके परिजनों को संरक्षण नहीं दिया जाएगा तबतक कोई जवान आखिर कैसे नक्सलियों के सामने सीना तानकर खड़ा होने का साहस कर पाएगा। समस्या यह है कि आज भी हम पुलिस बनकर या जनप्रतिनिधि बनकर नक्सलियों से लड़ने के बारे में सोचते हैं जबकि अपराधी को पकड़ने के लिए अपराधी की तरह सोचा जाना आवश्यक है। इसी तरह अगर नक्सलियों के हौसले पस्त करना हैं तो उनकी तरह ही सोचना होगा। उनकी हरकतों पर नजर रखकर उसके मुकाबले उत्कृष्ट कार्ययोजना का निर्धारण करना होगा। उनकी भाषा, कार्यशैली व मंशा को समझना होगा। जिस तरह नक्सलियों ने बस्तर के सुदूर अंचलों तक अपना नेटवर्क स्थापित किया है, उसी तरह हमारे जवानों को भी आदिवासियों का विश्वास अर्जित करना होगा। उनसे बेहतर संवाद व तालमेल स्थापित कर अपना नेटवर्क नक्सलियों से भी मजबूत करना होगा। यह भी विचार करने की आवश्यकता है कि यह सब क्या उन जवानों व कर्मचारियों द्वारा संभव है जिन्हें सजा काटने के लिए बस्तर भेजा गया है। बस्तर को प्रदेश के सबसे संवेदनशील व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों व कर्मचारियों की आवश्यकता है पर बस्तर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की वहां पदस्थ अधिकांश कर्मचारी किसी भी तरह अपने दिन काटने व अपने मन पसंद स्थान में स्थानान्तरण कराने में लगे हैं। मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संतुष्टिजनक कार्य न करने पर कर्मचारियों को बस्तर भेजने की धमकी दी जाती है। इसका आशय यह है कि बस्तर को सेल्युलर जेल मान लिया गया है जहाँ कर्मचारियों को कालापानी की सजा के लिए भेजा जाता है। नक्सलवाद का समाधान करने की दिशा में निरंतर प्रयास का इससे बेहतर समय और नहीं हो सकता। प्रदेश ही नहीं देश की जनता भी अब चाहती है कि राम जी का ननिहाल कहलाने वाले प्रदेश में अब राम राज्य स्थापित हो। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा राज आए कि बस्तर के आदिवासी से लेकर प्रदेश का अंतिम व्यक्ति तक शांति समृद्धि व खुशहाली के साथ मुस्कुरा सके। चारों ओर हर्ष का वातावरण निर्मित हो सके। आवश्यकता इस बात की है कि अब नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में इमानदारी पूर्वक ठोस प्रयास किया जाए न कि कोरे आश्वासनों व आरोप-प्रत्यारोप में समय व्यर्थ गंवाया जाए।
(प्रदेश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित आलेख)

Tuesday, May 14, 2013

लो मै आ गया...

विभिन्न भाव भंगिमाओं में आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय"
प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय डॉ रमन सिंह के साथ आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय"


प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय"

Monday, May 13, 2013

लो मै आ गया...


वन्दे मातरम,
समस्त सम्माननीय आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा "भारतीय" की ओर से सादर प्रणाम, आदाब, सतश्री अकाल !! आज लगभग डेढ़ साल बाद मै ब्लॉगजगत में फिर से कदम रखा हूँ... जीवन की आपाधापी में ऐसा मशगुल हुआ कि कुछ ब्लॉग जगत से नाता ही टूट गया। मगर मेरे शुभचिंतकों व आत्मीय जनों के प्यार ने मुझे एक बार फिर ब्लॉग लिखने पर मजबूर कर दिया। अब मै आप सभी को विशवास दिलाता हूँ कि नियमित रूप से अपने संदेशों व विचारों के साथ आप सभी के बीच उपस्थित होता रहूँगा। आशा ही नहीं वरन विश्वास है कि जिस तरह पहले मुझे आप सभी ने स्नेह और आशीर्वाद प्रदान किया, निरंतर प्रदान करते रहेंगे।
- गौरव शर्मा "भारतीय"

काश! पाकिस्तान भी भारत जैसा होता..

(भारत, पाक का मिलन, आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय" पाकिस्तानी नागरिकों के साथ)
गौरव शर्मा 'भारतीय'
काश, मेरा जन्म भारत में हुआ होता तो मुझे इस पवित्र धरती में कदम रखने के लिए 23 साल तक इंतजार न करना पड़ता। यह कहना है पाकिस्तान से भारत आये जत्थे के सदस्य गोपाल अग्रवाल का। गोपाल कहते हैं कि भारत आकर जो ख़ुशी मिली है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। यही वो धरती है जिसमें सारे धर्मों, जातियों व लोगों को समेटने और भरपूर प्यार करने की क्षमता है। गोपाल पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आये हैं। उनका कहना है कि कई सालों से वे भारत आने और इस धरती को करीब से देखने के इच्छुक थे पर 23 सालों बाद उन्हें यह मौका मिला। भारतीयों से मिले मान-सम्मान व स्वागत से अभिभूत होकर वे कहते हैं, सुना तो था कि भारत में अतिथि को भगवान का दर्जा दिया जाता है यहां आकर यह देख भी लिया। विदित हो कि इन दिनों राजधानी के शदाणी दरबार में अमृतसर के वाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान से 184 श्रद्धालुओं का जत्था दर्शन करने आया है। इसमें 37 महिलाएं व 8 बच्चे भी हैं। पाकिस्तान के चारों प्रांतों से आए लोग कल ही रायपुर पहुंचे हैं। यहाँ शदाणी दरबार परिसर में ही उनके ठहरने की व्यवस्था की गई है। उनकी सेवा के लिए आसपास के लोग अपने रोजमर्रा के काम को छोड़कर लगे हुए हैं। पाकिस्तानी यात्री छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थानों के साथ ही हरिद्वार, वैष्णव देवी, शिमला, दिल्ली व अमृतसर भी जाएंगे। 8 जून को उनकी पाकिस्तान वापसी होगी। पाकिस्तान के हालात के बारे में पूछने पर पाकिस्तानी श्रद्धालु हिचकते हुए कहते हैं कि 'सब ठीक हैÓ पर उनका दर्द उभर कर सामने आ ही जाता है। उनका कहना है कि वहां की आवाम बहुत ही अच्छी है। लोगों से कोई खतरा नहीं है मगर सियासी लोगों व कट्टरपंथी ताकतों की वजह से आज भी दंगे फसाद और उन्माद की आशंका बनी रहती है। हालांकि वे यह बताना भी नहीं भूलते की उन्हें अपनी धार्मिक रीति रिवाजों के पालन में कोई कठिनाई नहीं है। सिंध के घोटकी जिले से आए रतनलाल वंजारा कहते हैं कि वहां और यहाँ बहुत सी समानताएं हैं। पाकिस्तान की ही तरह भारत की आवाम भी अच्छी है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में इन दिनों चुनावी सरगर्मी जोरों पर है। आज ही वहां मतदान है। चुनाव के विषय पर बात करते हुए पाकिस्तानी नागरिक कहते हैं कि इस बार कुछ कहा नहीं जा सकता पर नवाज शरीफ की पार्टी का अभी जोर है। क्रिकेट से सियासत में आए इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ में भी लोग अब भरोसा करने लगे हैं। उनकी पार्टी में पढ़े-लिखे व बुद्धिजीवी लोगों की बड़ी तादाद है। इस बार तहरीक ए इंसाफ भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। बिलावल भुट्टो व हिना रब्बानी खार के रिश्तों की बात आने पर पाकिस्तानी नागरिक कुछ नहीं कहते पर उनकी मुस्कान सब कुछ बयान कर जाती है। बहरहाल, पाकिस्तानियों से मिलने व उनसे बात करने पर यह स्पष्ट होता है कि वे भी दोनों देशों के बीच दोस्ती व अमन के पक्षधर हैं। उनकी इच्छा है कि भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी लोकतंत्र कायम हो और अमन का वातावरण बने। जिस तरह भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं उसी तरह पाकिस्तान के भी हिन्दू अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व विकास का वातावरण मिले।
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