Monday, October 25, 2010

संस्कृति हमारी सबसे प्यारी है...

{चित्र गूगल से साभार}
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है 
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ...
चारों धर्म आधार हैं इसके 
जो मिलकर रहना सिखाते हैं 
प्रेम अहिंसा का जो पाठ पढ़ाते
सदा सत्य की राह दिखाते 
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है 
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ...
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई 
सब मिलजुल कर साथ में रहते 
कभी न आपस में टकराते 
ईद दिवाली सब मिलकर हैं मनाते 
यहाँ पत्थर भी देवता जैसे पूजे जाते 
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ...
यहाँ नदियाँ भी माता कहलाती हैं 
और गंगा पापों से मुक्ति दिलाती है 
यहाँ जात धर्म का न कोई बंधन 
करते हैं सब माँ भारती का वंदन 
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है 
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ......

वन्दे मातरम !!
     समस्त आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा "भारतीय" की ओर से सादर प्रणाम, आदाब, सत श्री अकाल !!
विदित हो की मै न हूँ और न लेखक, पर कभी कभी "कुछ" लिखने का प्रयास अवश्य करता हूँ, और आप तक उसे पहुँचाने का मकसद होता है की मुझमे जो कुछ भी त्रुटियाँ हैं, आप अपने महत्वपूर्ण टिप्पणियों के माध्यम से उसका सुधार करें एवं मुझ अकिंचन को मार्गदर्शन प्रदान करें |
अतः टिपण्णी करना न भूलें .....

Friday, October 15, 2010

स्वागत.....वंदन.....अभिनन्दन


वन्दे मातरम !!
             आप समस्त आत्मीय जनों को मै आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय" सादर प्रणाम करता हूँ | विदित हो कि न मै कवी हूँ न मै लेखक हूँ और न ही मुझे भावों को शब्दों में पिरोने की कला ही आती है पर एक भावनात्मक इन्सान होने के नाते मै अपने भावों को अपने विचारों को आप तक पहुँचाने एवं आप के विचारों को जानने के उद्देश्य से इस नवोदित ब्लॉग के माध्यम से उपस्थित हूँ |
              आप समस्त आत्मीय जनों से अनवरत मुझे आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है और भविष्य में भी आप मुझपर अपने आशीषों की वर्षा करते रहेंगे ऐसी आशा ही नहीं वरन विश्वास है क्योंकि आपका आशीर्वाद और आपका मार्गदर्शन ही तो मेरी पूंजी है मै आप सभी से  पुनः अनुरोध करता हूँ कि मुझे महत्वपूर्ण टिप्पणियों के माध्यम से अपने विचारों से अवगत कराएँ एवं मुझ अकिंचन से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए सस्नेह छमा करें |