Friday, February 18, 2011

उज्जवल भविष्य का आधार - जनगणना

समस्त सम्माननीय आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा भारतीय की और से सादर प्रणाम, आदाब, सतश्री अकाल !!
{चित्र गूगल से साभार}
                         आज मै किसी विषय पर चिंतन करने नहीं वरन समस्त आत्मीय जनों से एक महत्वपूर्ण निवेदन लेकर उपस्थित हूँ | सर्वविदित है कि भारत कि जनगणना 2011  प्रारंभ हो चुकी है और 9 से 28  फरवरी तक यह चलेगी और अब जनगणना के लिए कुछ ही दिन शेष रह गए हैं | जनगणना हमारे और हमारे देश के उज्जवल भविष्य के निर्माण की एक आवश्यक प्रक्रिया है |अतः हम समस्त भारत वासियों का कर्त्तव्य है की हम भारत की जनगणना 2011  में अवश्य शामिल होवें और अपनी तथा अपने परिवार की सही सही जानकारी गणकों को उपलब्ध कराएँ | विदित हो की हमारे द्वारा प्रदत्त समस्त जानकारी गोपनीय रखी जाएगी | 
                            मै पुनः सादर अपील करता हूँ की अपने तथा अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए जनगणना 2011 में अवश्य शामिल होवें जिससे देश की जनसँख्या, नागरिकों के रहन सहन जैसी और भी महत्वपूर्ण जानकारियां हमारे शासन प्रशासन तक पहुँच सके और भावी नीति निर्माण में हमारे द्वारा प्रदत्त जानकारियां सहायक हो सकें साथ ही यह भी अपील है की अगर आपकी जानकारी में किसी व्यक्ति अथवा परिवार तक गणकों का दल नहीं पहुंचा हो तो कृपया उन्हें अपने नजदीकी जनगणना कार्यालय से संपर्क करने कहें और  अपने आसपास के लोगों को भी जनगणना में शामिल होने कहें | 
                                    ध्यान रहे एक भी व्यक्ति छूटना नहीं चाहिए ...

Monday, February 14, 2011

वेलेंटाइन डे और युवा ...

ससस्त आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा की ओर से सादर प्रणाम !!
{चित्र गूगल से साभार}
                    युवा किसी भी राष्ट्र की शक्ति होते हैं और विशेषकर भारत जैसे महान राष्ट्र की उर्जा तो युवाओं में ही निहित है अतः राष्ट्रीय परिदृश्य में युवाओं की भूमिका स्वतः सिद्ध है, पर जब वही युवा पाश्चात्य सभ्यता के अन्धानुकरण के फेर में देश की संस्कृति, सभ्यता और अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों से दूर होकर वेलेंटाइन डे, फ्रेंडशिप डे जैसे और भी न जाने ऐसे कितने बेतुके तथाकथित दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते नजर आते हैं और उन्ही युवाओं को जब राष्ट्रीय महत्त्व के दिन भी याद नहीं रहते तो मन में यह सवाल अवश्य आता है कि आखिर हमारे युवा कहाँ जा रहे हैं ? और कहाँ जा रहा है हमारा देश ? कैसे हम इन पथभ्रष्ट युवाओं को अपनी शक्ति अपनी ,उर्जा का श्रोत मान सकते हैं और कैसे  इनके बल पर देश के विकास का स्वप्न देख सकते हैं ? निश्चित रूप से हम सभी को इस विषय में गंभीरता से विचार करना होगा अन्यथा स्थिति अकल्पनीय होगी |
{चित्र गूगल से साभार}
                   हम अगर अपने इतिहास में जाएँ तो इस बात का कहीं कोई प्रमाण नहीं मिलता की श्री कृष्ण ने सुदामा जी को "हैप्पी फ्रेंडशिप डे" कहा हो या राधा जी को "हैप्पी वेलेंटाइन डे" कहा हो पर आज संसार में श्री कृष्ण और सुदामा जी की दोस्ती और राधाकृष्ण का प्रेम आदर्श माना जाता है |  कहने का तात्पर्य यह है की प्रेमाभिव्यक्ति अथवा भावाभिव्यक्ति हेतु किसी नियत तिथि या दिवस की आवश्यकता नहीं होती, आवश्यकता होती है तो केवल रिश्तों में मिठास की और ह्रदय में अपनापन की, आत्मीयता की जिसे अभिव्यक्त करने के लिए हम किसी तिथि  के मोहताज नहीं | कहना आवश्यक है विदेशों में रिश्तों में अपनापन और आत्मीयता गौण है पर फिर भी उनके लिए इसे प्रदर्शित करना आवश्यक होता है | वे आज एक व्यक्ति के साथ अगर वेलेंटाइन डे मना रहे हैं तो आवश्यक नहीं की आगामी डे भी इसी व्यक्ति के साथ मना सकेंगे और हमारे देश में रिश्ते जन्म जन्मान्तर तक निभाए जाते हैं क्योंकी हमारे रिश्ते खोखले नहीं हैं, उनमे संवेदनशीलता है, विश्वास है, अपनापन है, आत्मीयता है | विदेशों में मदर्स डे, फादर्स डे का भी प्रचलन है क्योंकी वहां संयुक्त परिवार की प्रथा नहीं एकल परिवार की प्रथा प्रचलित है एक निश्चित समय के उपरांत माँ बाप अपने बेटों से और बेटे अपने माँ बाप से अलग जीवन व्यतीत करते हैं अतः वे एक दिन अपने माता पिता के प्रति प्रेम अथवा सम्मान की भावना को प्रदर्शित करते हैं जबकि हमारे देश में श्रवण कुमार और श्री राम जी जैसे पुत्र होते हैं जिन्हें अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने की कतई आवश्कता नहीं होती |
                    वर्तमान समय की आवश्कता है की हम पाश्चात्य संकृति के अन्धानुकरण को त्यागकर अपने संस्कार, अपनी संस्कृति को आत्मसात करें तथा अपने भारत को पतन की ओर अग्रसर होने से रोकें यही हमारा कर्त्तव्य है | मै स्वयं युवा हूँ और मेरा उद्देश्य युवा वर्ग को कटघरे में खड़ा करना नहीं वरन उन्हें गलत राश्तों पर जाने से रोकना है उन्हें देश के विकास की मुख्यधारा से जोड़कर राष्ट्रहित में समुचित योगदान देने हेतु प्रेरित करना है |
                                                            जय हिंद जय भारत

Wednesday, February 9, 2011

माया की यह कैसी माया ...

{चित्र गूगल से साभार}

वन्दे मातरम, समत आत्मीय जन आपके अपने गौरव का सादर अभिवादन स्वीकार करें !!
                      राजनीति और चाटुकारिता का चोली दामन का साथ सर्वविदित है | राजनीती और राजनीतिज्ञों में चाटुकारिता हमेशा से  महत्वपूर्ण स्थान पर रही है पर एक निश्चित सीमा तक यह सिमित रहे तो सहनीय हो सकता है पर कभी कभी पानी सर से ऊपर हो जाता है जिसके परिणाम घातक और अकल्पनीय होते हैं | जीवित व्यक्ति की मूर्ति और नोटों की माला तक तो सब कुछ ठीक ठाक था पर आज एक नया मामला सामने आया है, अपनी चरण पादुका को एक उच्चाधिकारी से साफ़ कराने का, और इस पर भी हद तो तब हो गयी जब मैडम माया की इस माया को भी बड़ी बेबाकी या बेशर्मी के साथ "सामान्य घटना" निरुपित किया जाने लगा |  यह विचारणीय है की कब तक हम मूकदर्शक बने ऐसी स्थिति का सामना करते रहेंगे और कब तक हमारे ये तथाकथित नेता इस प्रकार की हरकतों को अंजाम देते रहेंगे | जो व्यक्ति अपना ध्यान स्वयं नहीं रख सकते उससे हम कैसे यह उम्मीद करते हैं कि वे हमारे प्रदेश, हमारे देश, हमारी गरीब जनता, हमारे ऐतिहासिक पौराणिक धरोहरों का ध्यान रखेंगे, क्या उनसे विकास की अपेक्छा करना हमारी कमजोरी, हमारी लाचारी का परिचायक नहीं है ? इन प्रश्नों पर आज देश के प्रत्येक नागरिक को विचार करने की आवश्यकता है मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं कि न केवल विचार करने की वरन उचित निर्णय लेने की भी आवश्यकता है |

{चित्र गूगल से साभार}
                        हम लोकतान्त्रिक देश के बाशिंदे हैं हमारी आस्था लोकतंत्र में है और सदा रहेगी पर इसका यह अर्थ कतई नहीं है की हम असत्य का, अधर्म का, अन्याय का विरोध नहीं कर सकते | देश की वर्तमान परिदृश्य की आवश्यकता के अनुरूप प्रत्येक नागरिक को अब जागरूक होना होगा और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना होगा क्योंकि केवल नेताओं के बारे में टिपण्णी करने, उन्हें और उनकी नीतियों को भला बुरा कहने से स्थितियों में परिवर्तन की आशा करना व्यर्थ है | अब हमें स्वयं के विकास के साथ ही देश के विकास के विषय में भी चिंतन करना होगा और ऐसे नेताओं को हमें मुहतोड़ जवाब देना होगा, अपने सबसे प्रभावी हथियार का सार्थक उपयोग ही हमारा जवाब होगा और हमारा यह प्रभावी हथियार है हमारा वोट | हमें संकल्प लेना होगा की अपने वोट का अपने मत का सदुपयोग कर हम ऐसे घृणित कृत्यों को अंजाम देने वाले नेताओं को कभी सत्तासीन नहीं होने देंगे | मै यहाँ यह स्पष्ट अवश्य करना चाहूँगा की मेरा उद्देश्य किसी राजनैतिक दल अथवा राजनीतिज्ञ का विरोध करना नहीं वरन देश की जनता विशेषकर राष्ट्र शक्ति युवा वर्ग को जागरूक कर उनसे राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा में शामिल होने की अपील करना है |
                           जय हिंद जय भारत