{जरा देखिये कितनी विषमता है जहाँ एक बालक टुकड़ों में पल रहा है वहीँ हम धार्मिकता के नाम पर लाखों करोड़ों खर्च कर रहे हैं } |
{चित्र गोगल से साभार} |
मेरे नवोदित ब्लॉग को आप सब अपनी टिप्पणियों और आशीर्वाद से सार्थकता प्रदान कर रहे हैं तथा आप सभी का मार्गदर्शन मुझे निरंतर प्राप्त हो रहा है जिससे मुझमे अभूतपूर्व उत्साह का संचार हो रहा है | मै आप सभी के प्रति सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ एवं आग्रह करता हूँ की मुझ अकिंचन पर आप इसी प्रकार अपना विश्वास स्नेह और आशीर्वाद बनाये रखें और अनवरत मार्गदर्शन प्रदान करते रहें |
आज मै अपने विचारों को आप तक पहुँचाने और आपके विचारों को जानने के लिए पुनः उपस्थित हूँ | विगत दिनों अपने नगर रायपुर {छत्तीसगढ़} में मुझे किंचित धार्मिक आयोजनों में शामिल होने का सौभाग्य मिला जिनमे जाकर आत्मीय प्रसन्नता का अनुभव हुआ साथ ही मन कुछ कारणों से खिन्न भी हुआ | मै आज उन खिन्नता के कारणों को ही आप के साथ बाँटना चाहता हूँ | धार्मिक आयोजनों में शामिल होने से जहाँ मन में ईश्वर, देवी देवताओं के प्रति मन में आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है वहीँ मन ऐसे आयोजनों के माध्यम से हो रहे आडम्बर पर खिन्न महसूस करता है | वर्तमान में साधू, सन्यासी, भाग्वाताचार्यों के द्वारा भी आजकल ईश्वर से अधिक स्वयं का महिमामंडन किया जाना भी मन को दुखित करता है | मै आस्था या धार्मिकता के कतई खिलाफ नहीं वरन ऐसे आयोजनों पर होने वाले अनावश्यक खर्चों एवं ईश्वर से अधिक स्वयं को समझने वाले साधू सन्यासियों के खिलाफ हूँ |
वर्तमान में दृष्टिगत है की इन आयोजनों पर लाखों करोड़ों रूपये के खर्च किये जाते हैं तथा उससे कहीं अधिक धन संग्रह कर आयोजकों द्वारा न जाने किस किस प्रकार से उसका उपयोग या दुरूपयोग किया जाता है यह उस देश में जहाँ अभी भी एक बड़ी संख्या में लोगों को दो वक्त का पर्याप्त भोजन भी नसीब नहीं होता यह कहाँ तक न्यायोचित है ? आज भी हमारे देश में बच्चे पैसे के आभाव में शिक्छा से वंचित हैं, ऐसे लोगों की कमी नहीं इस देश में जिन्होंने केवल धन के आभाव में ही दम तोड़ दिया, हमारे पास इसका सबसे अच्छा उदाहरण है शहनाई उस्ताद बिस्मिलाह खां एवं प्रख्यात साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध का जिन्हें धन के आभाव में या शाशन प्रशासन के लापरवाही के चलते बीमारी से जूझते हुए दम तोडना पड़ा | अगर ऐसे लोगों को इन धार्मिकता के नाम पर आडम्बर करने वाले फिजूलखर्ची करने वाले लोगों का सहयोग मिल पाता तो शायद असमय उनका निधन नहीं होता, देश के हजारों बच्चे गरीबी, भुखमरी, असिक्छा के शिकार नहीं होते |
कोई ईश्वर हमें ये नहीं कहता की हम उनको लाखों करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाएं या उन्हें सोने चांदी के सिहासन पर विराजमान करें | और सभी की इतनी सामर्थ्य भी नहीं है, आज दृष्टिगत होता है की सामर्थ्यवान व्यक्ति अपनी शक्ति को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से अधिक दान करता है और उससे भी अधिक उसका प्रचार करता है और ऐसे व्यक्ति जिनकी सामर्थ्य नहीं है वह उन्हें देखकर दुखी होते हैं यह कहाँ तक न्यायोचित है ? अगर हम ईश्वर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो हमें कुछ ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे हम मानवमात्र की सेवा कर सकें, अगर हम किसी जरूरतमंद युवा को रोजगार मुहैया करते हैं या किसी अशिक्छित बालक को विद्यादान देते हैं, किसी निर्धन की मदद करते हैं तो ईश्वर ऐसे ही प्रसन्न हो जाता है तो फिर हमें आडम्बर की क्या आवश्यकता ? हमें इस विषय पर चिंतन अवश्य करना चाहिए और मानवमात्र की सेवा कर अपनी आस्था, अपनी श्रद्धा को और अधिक सार्थकता प्रदान करनी चाहिए | मेरा आग्रह है की आप इस विषय पर चिंतन अवश्य करें और मुझे अपने विचारों से अवश्य अवगत कराएँ |
vande isvaram
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteबेहतरीन आलेख। मानवता की सेवा ही इश्वर की सच्ची अराधना है।
ReplyDeleteकोई ईश्वर हमें ये नहीं कहता की हम उनको लाखों करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाएं या उन्हें सोने चांदी के सिहासन पर विराजमान करें |
ReplyDeleteसही बात ......!!
ये चढ़ावा तो चोरों के लिए चढाया जाता है .....
सार्थक दृष्टी, सार्थक चिंतन, सार्थक लेख...
ReplyDeleteपैनी होती नज़र और शब्दों की धार के लिए बधाई गौरव जी... शुभकामनाये.
ek saarthak vicharniy post. badhai.
ReplyDeleteब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteसार्थक आलेख.....अर्थपूर्ण विषय पर बात की आपने.... बेहद सुंदर धन्यवाद
ReplyDeleteमानवता की सेवा ही इश्वर की सच्ची अराधना है। धन्यवाद |
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा और सार्थक लेख प्रस्तुत किया है आपने बधाई स्वीकार करेँ।
ReplyDelete" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच