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{चित्र गूगल से साभार} |
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ...
चारों धर्म आधार हैं इसके
जो मिलकर रहना सिखाते हैं
प्रेम अहिंसा का जो पाठ पढ़ाते
सदा सत्य की राह दिखाते
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ...
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई
सब मिलजुल कर साथ में रहते
कभी न आपस में टकराते
ईद दिवाली सब मिलकर हैं मनाते
यहाँ पत्थर भी देवता जैसे पूजे जाते
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ...
यहाँ नदियाँ भी माता कहलाती हैं
और गंगा पापों से मुक्ति दिलाती है
यहाँ जात धर्म का न कोई बंधन
करते हैं सब माँ भारती का वंदन
संस्कृति हमारी सबसे न्यारी है
सारे जहाँ में सबसे प्यारी है ......
वन्दे मातरम !!
समस्त आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा "भारतीय" की ओर से सादर प्रणाम, आदाब, सत श्री अकाल !!
विदित हो की मै न हूँ और न लेखक, पर कभी कभी "कुछ" लिखने का प्रयास अवश्य करता हूँ, और आप तक उसे पहुँचाने का मकसद होता है की मुझमे जो कुछ भी त्रुटियाँ हैं, आप अपने महत्वपूर्ण टिप्पणियों के माध्यम से उसका सुधार करें एवं मुझ अकिंचन को मार्गदर्शन प्रदान करें |
अतः टिपण्णी करना न भूलें .....
वन्दे मातरम गौरव जी,
ReplyDeleteअभियान भारती के माद्यम से आप जो कुछ भी कर रहे हैं वह सराहनीय है, आप के अंदर जो लग्न है मैं उसको अभिवादन करता हूँ....... साथ ही आपसे गुजारिश भी करता हूँ की अपनी बात अधिकाधिक लोगों तक पहुचाने के लिए मैंने एक सार्वजनिक ब्लॉग बनाया है आप अपनी लेखनी को यहाँ भी चलाये,
http://bharatakta.blogspot.com/
गंगा की कल कल सीने में
ReplyDeleteचन्दन सी महक पसीने में
मन में मुरली की मधुर तान
तन पावनता की दिव्य ज्ञान
वाणी में कबीरा की साखी
हांथो में रामायण राखी
मन में गीता का दिव्य ज्ञान
और कर्म योग जीवन विधान
हर पावन रात दिवाली है
माटी की गंध निराली है
जिनका इस माटी से नाता
उनका तन मन नित ये गाता
रत्नाकर ने चरण पखारेSSSSSSSSSSSSSSSssssss
रत्नाकर ने चरण पखारे दिव्य हिमालय माथा है
सारे जग में अजब निराली भारत माँ की गाथा है
"अभियान भारतीय" की गाथा है, अपनी गौरव गाथा है .........
गंगा की कल कल सीने में चन्दन सी महक पसीने में ...........................
हर हर महादेव
... bahut sundar ... behatreen !
ReplyDeleteइसी तरह आप से बात करूंगा
ReplyDeleteमुलाक़ात आप से जरूर करूंगा
आप
मेरे परिवार के सदस्य
लगते हैं
अब लगता नहीं कभी
मिले नहीं है
आपने भरपूर स्नेह और
सम्मान दिया
हृदय को मेरे झकझोर दिया
दीपावली को यादगार बना दिया
लेखन वर्ष की पहली दीवाली को
बिना दीयों के रोशन कर दिया
बिना पटाखों के दिल में
धमाका कर दिया
ऐसी दीपावली सब की हो
घर परिवार में अमन हो
निरंतर दुआ यही करूंगा
अब वर्ष दर वर्ष जरिये कलम
मुलाक़ात करूंगा
इसी तरह आप से
बात करूंगा
मुलाक़ात आप से
जरूर करूंगा
01-11-2010
लेखन अपने आपमें रचनाधर्मिता का परिचायक है. लिखना जारी रखें, बेशक कोई समर्थन करे या नहीं!
ReplyDeleteबिना आलोचना के भी लिखने का मजा नहीं!
यदि समय हो तो आप निम्न ब्लॉग पर लीक से हटकर एक लेख
"आपने पुलिस के लिए क्या किया है?"
पढ़ सकते है.
http://baasvoice.blogspot.com/
Thanks.
अति सुन्दर कविता जय माँ भारती
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