जय हिंद,
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मेरा आप सभी से एक प्रश्न है कि हम अपनी मातृभाषा हिन्दी का प्रयोग न कर किसी अन्य भाषा का प्रयोग क्यों करें ?
मित्रों, हमें अंग्रेजी बोलने में गर्व का अनुभव होता है जबकि गर्व हमें इस बात पर होना चाहिए कि अंग्रेजी के अधिकांश शब्द हमारी प्रचिनतम भाषा, देववाणी संस्कृत से लिए गये हैं और उससे भी अधिक गर्व हमें इस बात पर होना चाहिए कि दुनिया में बोली जाने वाली लगभग 14,000 बोली, भाषा और विभाषाओँ को व्याकरण के चौदह सुत्र प्रदान करने वाले महान ब्रम्हर्षि पाणनीय "भारतीय" थे...
मेरा आप सभी से निवेदन है -
हिन्दी बोलिए.
हिन्दी लिखिए..
हिन्दी पढ़िए...
क्योंकि हिन्दी हिन्द की शान है, क्योंकि हिन्दी भारत की पहचान है, क्योँकि हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं है वरन हिन्दी हमारी मातृभाषा है।
जय भारत, जय अभियान भारतीय...!!
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मेरा आप सभी से एक प्रश्न है कि हम अपनी मातृभाषा हिन्दी का प्रयोग न कर किसी अन्य भाषा का प्रयोग क्यों करें ?
मित्रों, हमें अंग्रेजी बोलने में गर्व का अनुभव होता है जबकि गर्व हमें इस बात पर होना चाहिए कि अंग्रेजी के अधिकांश शब्द हमारी प्रचिनतम भाषा, देववाणी संस्कृत से लिए गये हैं और उससे भी अधिक गर्व हमें इस बात पर होना चाहिए कि दुनिया में बोली जाने वाली लगभग 14,000 बोली, भाषा और विभाषाओँ को व्याकरण के चौदह सुत्र प्रदान करने वाले महान ब्रम्हर्षि पाणनीय "भारतीय" थे...
मेरा आप सभी से निवेदन है -
हिन्दी बोलिए.
हिन्दी लिखिए..
हिन्दी पढ़िए...
क्योंकि हिन्दी हिन्द की शान है, क्योंकि हिन्दी भारत की पहचान है, क्योँकि हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं है वरन हिन्दी हमारी मातृभाषा है।
जय भारत, जय अभियान भारतीय...!!
आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपके ज़ज्बे को सलाम .कृपया सूत्र और पाणिनी शुद्ध रूप लिखें .......
ReplyDeleteइतने /कितने शहरी हो गये लोगों के ज़ज्बात ,
हिंदी भी करने लगी ,अंग्रेजी में बात .
सार्थक लेख !!
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