Saturday, June 8, 2013

तोते की व्यथा...


-गौरव शर्मा "भारतीय"

मेरा नाम तोताराम है ! जी हाँ... मै वही तोताराम हूँ जो कल तक लोगों को उनका भविष्य बताया करता था। लचर प्रशासनिक तंत्र व कुछ भ्रष्ट नौकरशाहों की वजह से इन दिनों मै चर्चा में हूँ। हाल ही में देश के उच्चतम न्यायालय ने मेरी तुलना सीबीआई से कर दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा टिप्पणी करने के बाद ही मै चर्चा में आया हूँ। इस टिप्पणी के बाद मीडिया ने मुझे सर आँखों पर बैठा लिया। लोग मेरी तस्वीरों के साथ प्रदर्शन करने लगे। स्वार्थ के सागर में गले तक डूब चुके कुछ लोगों ने तो मेरे नाम का प्रयोग करने के लिए कापीराईट कराने की भी तैयारी कर ली है। जो भी हो पर मुझे इस टिप्पणी से गहरा आघात पहुंचा है कि मेरी तुलना सीबीआई से की गई। अब आप ही बताइए, बार बार रंग बदलने वाले सीबीआई की तुलना मुझसे करना कहाँ तक उचित है ? कभी शेर की तरह दहाड़ने तो कभी चूहे की तरह भयभीत होने वाली सीबीआई की तुलना आखिर तोते से कैसे की जा सकती है ? जब-जब देश में सरकार बदलती है, सीबीआई गिरगिट की तरह रंग बदलती है। आश्चर्य है कि सीबीआई की तुलना मुझसे की जाती है जबकि न मै अवसरवादी हूँ और न पलायनवादी। मै तो कल तक लोगों को उनका भविष्य बताया करता था। `तपतकुरु` और `राम-राम` जप कर लोगों को हर क्षण ईश्वर के करीब होने का संदेश दिया करता था। और आज... मुझे एक कथा की याद आ रही है, एक बार किसी नगर में धर्मसभा का आयोजन हुआ। उसमे भाग लेने देश भर से विद्वतजन पहुंचे। मै भी अपने विद्वान स्वामी के साथ उस सभा में पहुंचा। जब मेरे स्वामी के बोलने का समय आया तो उन्होंने मुझे सामने कर दिया और कहा कि मुझसे अधिक विद्वान मेरा तोता है, सभा में यही शास्त्रार्थ करेगा। मैंने अपने स्वामी द्वारा सिखाई गई सारी बातें सभा में उपस्थित जनों को बताई। मैंने अमन का संदेश देकर सभी को स्तब्ध कर दिया, पर अफ़सोस उस समय मीडिया नहीं हुआ करता था इसलिए उसका अटेंशन नहीं मिला। सच कहूँ तो मेरी नाराजगी उच्चतम न्यायालय से नहीं है, मै नाराज हूँ उन दो कौड़ी के नेताओं से जिन्होंने मुझे एक दूसरे को नीचा दिखाने का माध्यम बना लिया है। मै नाराज हूँ तथ्यहीन खबर दिखाने व अनर्गल प्रलाप करने वाली मीडिया से जिसे हर ऐरी गैरी बात को ब्रेकिंग न्यूज़ बनाने की आदत है। मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि इसी वजह से मै अब शहरों व गावों में आसानी से नजर नहीं आता। इसी वजह से मै चुपचाप पिंजरे में पड़ा राम नाम जपता रहता हूँ। भले मेरी तुलना कोई सीबीआई से करे पर मै जनता हूँ कि मैंने आज तक किसी के साथ पक्षपात नहीं किया अपने स्वामी के हितों की रक्षा के लिए कभी किसी को डराया-धमकाया नहीं। मैंने तो हमेशा प्रेम, सद्भाव, संवेदनशीलता व एकता का पैगाम दिया है। न जाने लोग क्यों मेरी तुलना सीबीआई से कर मेरा अपमान करने पर अमादा हैं। खैर... मै तो गाँधी के सिद्धांतों पर चलने वाला तुच्छ प्राणी हूँ। ईश्वर से यही प्रार्थना कर सकता हूँ कि वे लोगों को सद्बुद्धि दे। गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले सीबीआई को इतना हौसला दे कि वह भी मेरी तरह सच को सच और झूठ को झूठ कहने का सहस कर सके। आपने मेरी व्यथा-कथा को सुना इसलिए मै आप इंसानों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। 

(विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित)

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