Wednesday, September 4, 2013

बापू की पाती मनमोहन के नाम...


बापू की पाती मनमोहन के नाम...
  
 गौरव शर्मा "भारतीय"
प्रिय मनमोहन,
काफी दिनों से आपको पत्र लिखने का विचार कर रहा था पर आज देश की वर्तमान व्यवस्था ने मुझे आपको पत्र लिखने पर मजबूर कर दिया। मैं लंबे समय से आपका प्रशंसक रहा हूँ क्योंकि बुरा न देखो, बुरा न सुनो और बुरा न कहो के मेरे सिद्धांतों का आपने अक्षरशः पालन किया है। बुरा होते देख आप अपनी आँखें बंद कर लेते हैं। बुरी बातों को सुनकर आप कानों पर ऊँगली देते हैं पर बुरा कहने के संबंध में मैं टिपण्णी करने में असमर्थ हूँ क्योंकि मैंने आपको कुछ खास मौकों पर ही बोलते सुना है, शायद तब भी आप बोल नहीं, पढ़ रहे थे। मेरे अहिंसा के सिद्धांतों को भी आपने बखूबी अपनाया है। एक गाल पर तमाचा मारने पर जिस तरह मैंने दूसरा गाल आगे बढ़ाने की बात कही ठीक उसी तरह आपने एक बार पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत के पांच सैनिकों का शीश काटने के बाद चीन को अपने देश में घुसपैठ करने का अवसर दे दिया पर हिंसा नहीं होने दी। देश आपके कुशल नेतृत्व में इन दिनों काफी तरक्की कर रहा है। ए. राजा, कनिमोझी और कलमाड़ी जैसे लोगों को देखता हूँ तो वाकई ख़ुशी से मेरी आखें छलक जाती है। इतनी तरक्की तो चीन और जापान आजादी के दसियों सालों के गुजरने के बाद भी नहीं कर पाए पर भारत ने आप जैसे महान नेताओं के नेतृत्व में महज 67 वर्षों में ही अच्छी तरक्की की है। कुछ बातों से मैं परेशान भी हूँ। बड़ी पीड़ा होती है जब भारतीय मुद्रा की डॉलर के सामने घुटने टेकने की खबरें सुनता हूँ। भारतीय मुद्रा में मेरी फोटो छपी है और जब-जब भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर होती है तो मुझे अहसास होता है जैसे मैंने ही अमेरिका और ब्रिटेन के सामने घुटने टेक दिए हों। ऐसा लगता है मानो मैंने ही कोई अपराध किया है जिसकी सजा मेरे देश की मुद्रा को दी जा रही है। मैं बड़ी विनम्रता के साथ आपसे आग्रह करना चाहता हूँ कि आप भारतीय मुद्रा से मेरी तस्वीर हटा दें। मेरी तस्वीर संसद भवन और विधानसभाओं से भी हटवाने की कृपा करें। जिस संस्था के भीतर सत्य और अहिंसा के साथ प्रतिदिन हिंसा की जाती हो उस संस्था के बाहर मेरी तस्वीर और प्रतिमा का काम ही क्या ? आज आपके मंत्री गरीबी और भुखमरी के नाम पर तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। हर कोई गरीबी की परिभाषा सुविधाजनक ढंग से गढ़ने का प्रयास कर रहा है। गरीबी, भूख और भोजन के साथ मैंने भी प्रयोग किया था। मैंने फल, बकरी के दूध और जैतून के तेल पर जीवन निर्वाह कर खर्चों को कम करने का प्रयास किया और इसमें सफल भी हुआ, तब मैंने आम जनता से इन साधनों पर निर्वाह करने की अपील की पर आपके मंत्री स्वयं तो टूजी, थ्रीजी और सीडब्ल्यूजी पर गुजारा करते हैं और दूसरों को 5 रूपये में भरपेट भोजन करने की सलाह देते हैं। आज देश में कांग्रेस की सरकार है, उसी कांग्रेस की जिसे किसी जमाने में हमने अपने खून से सींचा था। वही कांग्रेस जिसने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। आज आपको भी उसी कांग्रेस में रहते हुए एक लड़ाई लड़नी है। गरीबी भ्रष्टाचार और अनैतिकता के खिलाफ आवाज बुलंद करना है। 121 करोड़ लोगों को सम्मान और स्वाभिमान का जीवन देना है पर इसके लिए आपको अपने आसपास के कुछ लोगों का परिचय सत्य और नैतिकता जैसे शब्दों से कराना होगा। किसी जमाने में मैंने हिटलर को पत्र लिखकर अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख दी थी इसलिए मैं जनता हूँ कि यह कितना मुश्किल है पर आपको अपने देश को बचाने के लिए ऐसा करना होगा। मैं एक साधारण मानव था और मरने के बाद भी स्वयं को साधारण ही मानता हूँ। और आखिर में जब भी आप सत्य और न्याय की लड़ाई में मेरी आवश्यकता महसूस करेंगे मैं आपका साथ अवश्य दूंगा।
बापू के आशीर्वाद...
आपका
मो. क. गाँधी
(लेखक छत्तीसगढ़ के युवा पत्रकार व साहित्यकार हैं)

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