जन्म के बाद जन्म प्रमाणपत्र के लिए रिश्वत
किसी अच्छे स्कूल में बच्चे को भर्ती करने के लिए रिश्वत
नौकरी के लिए रिश्वत
प्रमोशन के लिए रिश्वत
छोटे मोटे कामों के लिए जीवन भर अनगिनत रिश्वत
बुढ़ापे में सरकारी अस्पताल में इलाज़ कराने के लिए रिश्वत
मरने के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए रिश्वत
एक आम भारतीय की जिन्दगी में यही होता है, हर कदम पर रिश्वत देना पड़ता है | विदेशों में भी रिश्वत लिए जाते हैं, वहां भी भष्टाचार होते हैं, पर गलत कार्य करने के लिए और हमारे भारत में कार्य करने के लिए अर्थात कर्तव्यपालन के लिए भी रिश्वत लिए जाते हैं | नगर निगम और ग्राम पंचायत से लेकर संसद भवन तक भष्टाचार में शामिल है | देश का दुर्भाग्य है की देश के सबसे इमानदार कहे जाने वाले प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश का सबसे भ्रष्ट सरकार संचालित है | आज अनायाश एक शायर की एक पंक्ति याद आ रही है :- "आज उन्ही के आशियाँ ए बागबां तुने उजाड़े हैं की जिनका लहू तक शामिल है तामीर ए गुलिश्तां में" भारत माता को किसी और ने नहीं उन्ही के सपूतों ने लुटा है और ऐसे लोगों पर कार्यवाही होना तो दूर वही लोग आज देश के कर्णधार बने बैठे हैं |
मै देश का एक आम नागरिक हूँ और मुझे भी यदाकदा इस प्रकार के भष्टाचार का सामना करना पड़ता है पर आखिर कब तक ? कब तक हम मौन होकर भष्टाचार को सहते रहें ? अब वक्त आ गया है, भष्टाचार के खिलाफ लड़ने का, एकजुट होने का, आम जनता की शक्ति को प्रदर्शित कर भ्रष्ट लोगों को सबक सिखाने का |
मै तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्ना हजारे और देश के करोड़ों लोगों के साथ हूँ और आप.....
यक़ीनन हम सब उनके साथ हैं..... हर देशवासी का समर्थन उनके साथ है ....
ReplyDeleteआदरणीय गौरव शर्मा "भारतीय" जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
सच है, भ्रष्टाचार ने हम भारतीयों को अपना ग्रास बनाया हुआ है ।
… और स्थिति इतनी बिगड़ी हुई है कि आशा की किरण नज़र भी नहीं आ रही … … …
अन्ना हजारे जी के आह्वान से पहले भी हम इन परिस्थितियों से अनभिज्ञ तो नहीं थे …
निःसंदेह हम अन्ना के साथ हैं !
… लेकिन सबको अपने अपने स्तर पर भी सर्वत्र संघर्ष करने के लिए तैयार होना पड़ेगा … … … !
आपको सपरिवारनवरात्रि की शुभकामनाएं !
साथ ही…
*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अन्ना हजारे की लड़ाई एक मुक्कम्मल लड़ाई होगी ।
ReplyDeleteसमाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, भ्रष्टाचार शोषण का सामना करते -करते एक दिन वह स्थिति आ जाती है जब अन्दर सोया पुरुषार्थ भी जागृत हो उठता है. नहीं ...अब ...और नहीं...., बहुत दिन सह लिया..बहुत ज्यादा सह लिया..अब और नहीं सहूंगा...मिटा डालूँगा इसे....अन्याय का यह अस्वीकार बोध मानव मन को दो विकल्प उपलब्ध कराता है - प्रथम, हम अन्याय और शोषण की ओर से पूरी तरह विरक्त हो जाय, यह मान लें कि हमारे चरों ओर जो कुछ घटित हो रहा है हम उसके सहभागी नहीं है. हम कुछ नहीं कर सकते. अतएव हमारा कोई दायित्व नहीं. द्वितीय, यह स्थिति अन्याय, शोषण और भ्रष्टाचार से सीधे प्रतिकार और टकराव का है. पहली स्थिति पलायनवादिता है, विवशता और पराधीनता की स्थिति है. दूसरी स्थिति अन्याय से आमने - सामने जूझने की स्थिति है जहां जीवन का मोह निरर्थक हो जाता है. और मृत्यु का वरण पहली अनिवार्य शर्त बन जाती है.जहां मृत्यु के अनजाने भय में भी दायित्व का सौन्दर्य और विवेक का प्रकाश दिखाई देने लगता है. मन बोल ही उठता है - 'पहिला मरण कबूल कर जीवन की छड़ आस', यहाँ मृत्यु की कोई चिंता नहीं और जीवन से कोई मोह भी नहीं. बिना तत्त्वज्ञान के यह होता भी नहीं, वह शक्ति -साहस और ऊर्जा तभी मिलती है जब व्यक्ति में ज्ञान और दायित्व का, कर्त्तव्यबोध का उदय होता है. जब ऐसा होता है तो वह अन्याय और भ्रष्टाचार को सहने से इनकार कर देता है. यह स्थिति पहले भी कई बार आयी है ..और आज भी आ उपस्थित हुई है....
ReplyDeleteआश्चर्य इस बात का है की हिन्दुस्तान का ९५% आवाम भ्रष्टाचार की खिलाफ है मगर हिन्दुस्तान फिर भी विश्व के भ्रष्टतम देशों में गिना जाता है....
ReplyDeleteइसका कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ क़ानून की अपर्याप्तता है या कुछ और मेरे विचार से इस पर भी इमानदारी पूर्वक विचार करने का वक़्त आ गया है...
यक़ीनन हम सब उनके साथ हैं|धन्यवाद|
ReplyDeleteबिना रिश्वत के कोई काम सम्भव ही नहीं है...सही लिखा है और अन्ना जी के साथ हम सब हैं...
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