समस्त आत्मीय जन गौरव का सादर अभिवादन स्वीकार करें|
"भारत रत्न" देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, जिसे प्राप्त करने की इच्छा हर भारतीय के दिल में होती है | पिछले कुछ दिनों से विभिन्न स्तरों पर विभिन्न व्यक्तियों एवं संस्थाओ के द्वारा लगातार यह मांग की जा रही है की क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंडुलकर{आजकल इन्हें क्रिकेट के भगवान् भी कहा जाने लगा है}को शीघ्रातिशीघ्र "भारत रत्न" सम्मान प्रदान किया जाये और इस मांग पर शाशन के द्वारा भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है | बेशक यह मांग जायज है और निश्चित रूप से सचिन तेंडुलकर इस सम्मान के हकदार भी हैं | उन्होंने जिस प्रकार अपने खेल जीवन में देश के लिए खेलते हुए जितनी उपलब्धियां हासिल की हैं तथा क्रिकेट जगत के अधिकाधिक रिकार्ड अपने नाम किये हैं वह वाकई प्रसंसनीय है | पर क्या हमें सचिन के अतिरिक्त "भारत रत्न" सम्मान हेतु अन्य नामों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए ? क्या सचिन से पहले भारत के अन्य विभूतियों को इस सम्मान से नहीं नवाजा जाना चाहिए ? बेशक सचिन को "भारत रत्न" सम्मान दिया जाना चाहिए परन्तु सचिन तेंडुलकर से पूर्व "भारत रत्न" माँ भारती के उन सपूतों को प्रदान किया जाना चाहिए जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर माँ भारती के चरणों में प्राण त्याग दिए |
मित्रों जरा विचार कीजिये क्या "भारत रत्न" सम्मान पर पहला अधिकार उस शहीद भगत सिंह का नहीं है जिन्होंने सम्पूर्ण भारत वर्ष को क्रांति की नविन परिभाषा दी जिन्होंने फांसी के फंदे को ख़ुशी ख़ुशी चूमकर देश के लाखों करोड़ों नौजवानों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा दिया ? जरा सोचिये क्या "भारत रत्न" सम्मान पहले भगत सिंह को दिया जाना चाहिए अथवा किसी अन्य को, आज़ादी के इतने वर्षों तक क्यों हम माँ भारती के वीर सपूतों को यह सम्मान नहीं दे पाए उल्टा आजकल कुछ राजनीतिज्ञों द्वारा इन शहीदों की जातियों पर पर तरह तरह की बातें की जाने लगी है जरा सोचिये क्या यह न्यायोचित है ?
नेताजी शुभाष चन्द्र बोस को "भारत रत्न" सम्मान देने हेतु भारत की जनता द्वारा क्या मांग नहीं की गयी फिर क्यों नेताजी आजतक इस सम्मान से वंचित हैं ? क्या इस सम्मान पर उनका अधिकार पहले नहीं है ? माँ भारती के इन वीर सपूतों के प्रति हमारा इतना उदासीन रुख क्यों ? बेशक हमारे शहीद किसी सम्मान के मोहताज़ नहीं पर क्या शाशन, प्रशाशन का यह कर्त्तव्य नहीं की इन शहीदों को सर्वप्रथम देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाये | निश्चित रूप से शाशन प्रशासन की इस लापरवाही में हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं, आज जितने शिद्दत से हम सचिन तेंडुलकर या अन्य किसी के लिए "भारत रत्न" की मांग करते हैं क्या हमने अपने इन वीर शहीदों के लिए ऐसा किया है ?
मेरा उद्देश्य किसी का विरोध करना अथवा समर्थन करना नहीं वरन उन लोगों का ध्यान इन महान विभूतियों की ओर आकृष्ट करना है जिन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" हेतु केवल एक ही नाम याद रहता है | ये मेरी भावनाएं हैं जिन्हें मैंने आपके समक्छ अभिव्यक्त किया है और मै समस्त आत्मीय जनों से इसपर उनके विचार सादर आमंत्रित करता हूँ |
***जय हिंद जय भारत***
{सभी चित्र गूगल से साभार} |
"भारत रत्न" देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, जिसे प्राप्त करने की इच्छा हर भारतीय के दिल में होती है | पिछले कुछ दिनों से विभिन्न स्तरों पर विभिन्न व्यक्तियों एवं संस्थाओ के द्वारा लगातार यह मांग की जा रही है की क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंडुलकर{आजकल इन्हें क्रिकेट के भगवान् भी कहा जाने लगा है}को शीघ्रातिशीघ्र "भारत रत्न" सम्मान प्रदान किया जाये और इस मांग पर शाशन के द्वारा भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है | बेशक यह मांग जायज है और निश्चित रूप से सचिन तेंडुलकर इस सम्मान के हकदार भी हैं | उन्होंने जिस प्रकार अपने खेल जीवन में देश के लिए खेलते हुए जितनी उपलब्धियां हासिल की हैं तथा क्रिकेट जगत के अधिकाधिक रिकार्ड अपने नाम किये हैं वह वाकई प्रसंसनीय है | पर क्या हमें सचिन के अतिरिक्त "भारत रत्न" सम्मान हेतु अन्य नामों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए ? क्या सचिन से पहले भारत के अन्य विभूतियों को इस सम्मान से नहीं नवाजा जाना चाहिए ? बेशक सचिन को "भारत रत्न" सम्मान दिया जाना चाहिए परन्तु सचिन तेंडुलकर से पूर्व "भारत रत्न" माँ भारती के उन सपूतों को प्रदान किया जाना चाहिए जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर माँ भारती के चरणों में प्राण त्याग दिए |
मित्रों जरा विचार कीजिये क्या "भारत रत्न" सम्मान पर पहला अधिकार उस शहीद भगत सिंह का नहीं है जिन्होंने सम्पूर्ण भारत वर्ष को क्रांति की नविन परिभाषा दी जिन्होंने फांसी के फंदे को ख़ुशी ख़ुशी चूमकर देश के लाखों करोड़ों नौजवानों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा दिया ? जरा सोचिये क्या "भारत रत्न" सम्मान पहले भगत सिंह को दिया जाना चाहिए अथवा किसी अन्य को, आज़ादी के इतने वर्षों तक क्यों हम माँ भारती के वीर सपूतों को यह सम्मान नहीं दे पाए उल्टा आजकल कुछ राजनीतिज्ञों द्वारा इन शहीदों की जातियों पर पर तरह तरह की बातें की जाने लगी है जरा सोचिये क्या यह न्यायोचित है ?
नेताजी शुभाष चन्द्र बोस को "भारत रत्न" सम्मान देने हेतु भारत की जनता द्वारा क्या मांग नहीं की गयी फिर क्यों नेताजी आजतक इस सम्मान से वंचित हैं ? क्या इस सम्मान पर उनका अधिकार पहले नहीं है ? माँ भारती के इन वीर सपूतों के प्रति हमारा इतना उदासीन रुख क्यों ? बेशक हमारे शहीद किसी सम्मान के मोहताज़ नहीं पर क्या शाशन, प्रशाशन का यह कर्त्तव्य नहीं की इन शहीदों को सर्वप्रथम देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाये | निश्चित रूप से शाशन प्रशासन की इस लापरवाही में हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं, आज जितने शिद्दत से हम सचिन तेंडुलकर या अन्य किसी के लिए "भारत रत्न" की मांग करते हैं क्या हमने अपने इन वीर शहीदों के लिए ऐसा किया है ?
मेरा उद्देश्य किसी का विरोध करना अथवा समर्थन करना नहीं वरन उन लोगों का ध्यान इन महान विभूतियों की ओर आकृष्ट करना है जिन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" हेतु केवल एक ही नाम याद रहता है | ये मेरी भावनाएं हैं जिन्हें मैंने आपके समक्छ अभिव्यक्त किया है और मै समस्त आत्मीय जनों से इसपर उनके विचार सादर आमंत्रित करता हूँ |
***जय हिंद जय भारत***
आपकी भावनाएं सम्माननीय हैं.... विचारणीय हैं...
ReplyDeleteSahamat. A logical and considerable post for all either a citizen or a government. Highly support for your movements.
ReplyDeleteविचारणीय प्रस्तुति, बधाई.
ReplyDeleteदेश की आजादी के लिए प्राण होम करने वालों को निश्चित ही "भारत रत्न" देना चाहिए।
ReplyDelete.
ReplyDeleteशहीद भगत सिंह और बोस जैसे व्यक्तित्व तो सदियों से दिलों में राज कर रहे हैं , इससे बड़ा सम्मान और क्या होगा ? इस सम्मान के आगे सभी चक्र और रत्न छोटे पड़ जाते हैं। लोगों को जीते-जी भी सम्मान मिलना चाहिए। भगत सिंह की होनहार संतानें भी भारत रत्न की हक़दार हैं। सचिन अथवा सचिन जैसे अन्य बहुत से भारतीय , विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान , चिकित्सा, साहित्य , खेल) में भारत को गौरव दिला रहे हैं। ये सभी भारत रत्न के हक़दार हैं।
आज के नागरिक की तुलना अमर शहीदों के साथ कुछ अनुचित लगती है। हम कभी भी शहीदों के बराबर नहीं हो सकते । लेकिन इस अंतर के कारण , आज की होनहार प्रतिभाओं को इस सम्मान से वंचित क्यूँ करना ?
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बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने.....
ReplyDeleteगहन चिन्तनयुक्त विचारणीय लेख है। ऐसे मुद्दों पर विमर्श जरूरी है....
आपकी जो भावनाएं है ,वो ही मेरी खुद की भावनाएं है | भारत स्वभिमान के मंच के माध्यम से भी इस मुदे को कई बार उठाया गया है ,लेकिन इस देश की शासन सता को ...शहीदों के समान की कोई चिंता नहीं है ,....... युवा साथियों अब जागो और निकल पडो ..मंजिल को हमें ही पास लाना है ....... आपको बहुत बहुत शुक्रिया ............
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