Saturday, April 23, 2011

पर हमने भारत को क्या दिया....?

समस्त आत्मीय जनों को आपके अपने गौरव शर्मा "भारतीय" के ओर से सादर प्रणाम !!
                       विगत दिनों मेरी बातचीत "भारत" एवं "भारतीयता" के विषय में नेट पर मित्रों से हो रही थी तभी एक मित्र ने मुझसे कहा यार जब देखो तुम केवल देश की ही बातें किया करते हो आखिर इस देश ने हमें दिया ही क्या है ? मित्र की इस बात को सुनकर मुझे तो ऐसा लगा मानो काटो तो खून नहीं, मै उचित जवाब उन्हें दे पाता इससे पहले ही किंचित कारणों से उनसे मेरी वार्तालाप बंद हो गयी | आज मन में विचार आया की न केवल उस परम मित्र को वरन ऐसा ही सोच रखने वाले लोगों को भी बताया जाये की भारत ने हमें क्या दिया है |
                      "भारत" जो "भाष" अर्थात प्रकाश की साधना में रत है, "भारत" जो न केवल भूमि का एक टुकड़ा है, "भारत" जो न केवल लोगों का एक समूह है,  "भारत" जो न केवल नदियों का संगम है, "भारत" जो न केवल एक राष्ट्र है वरन "भारत" हमारी आत्मा है, "भारत" हमारी भावना है, "भारत" हमारा प्राण है, "भारत" हमारी संस्कृति है, "भारत" हमारा संस्कार है, "भारत" हमारी आस्था, हमारी श्रद्धा, हमारी अस्मिता का प्रतिक है, "भारत" जो देश है अर्पण का,  "भारत" जो देश है तर्पण का, "भारत" जो देश है समर्पण का, "भारत" जो न केवल हमारा अभिमान है वरन "भारत" हर भारतीय की पहचान है,  "भारत" जो अनूठी संस्कृतियों का अनुपम मेल है, "भारत" जहाँ दो कोष में भाषा बदल जाती है और चार कोष में वेशभूषा बदल जाती है मगर फिर भी अनेकता में एकता की भारत से बढ़कर कोई मिशाल नहीं है, "भारत" वह देश जहाँ भगत सिंह फांसी के तख्ते को देश की आजादी के लिए हँसते हँसते चूम लेते हैं, "भारत" वो देश जहाँ चंद्रशेखर आज़ाद देश की अस्मिता के रक्षा के लिए आखिरी गोली खुद पर ही चला लेते हैं, "भारत" जहाँ जन्म लेना ही असीम गौरव का विषय है और ऐसे महान देश के विषय में आज हम कहते हैं की भारत ने हमें क्या दिया ? 
                            मित्रों आज हम यह प्रश्न करने के लिए भी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, हमें ज्ञात होना चाहिए की विश्व में बोली जाने वाली लगभग चौदह हजार बोली, भाषा, और विभाषाओं को व्याकरण के चौदह सूत्र प्रदान किया महान ऋषि पाणनिय ने, जो "भारतीय" थे,  "भारत" जिसने धर्म और आध्यात्म के क्षेत्र में सम्पूर्ण विश्व को राह दिखाया है, विवेकानंद "भारतीय" थे जिन्होंने विश्व को धर्म की नवीन परिभाषा प्रदान की, शुन्य जिसकी खोज भारत से हुई जिसके बदौलत हमारा आज चाँद सितारों पर जाना मुमकिन हो पाया है याद करें आर्यभट "भारतीय" थे,  सत्य और अहिंसा की राह पर चलने का मार्ग जिन्होंने दुनिया के लिए प्रशस्त किया वे गाँधी जी "भारतीय" थे,  स्वास्थ्य एवं चिकत्सा के क्षेत्र में सर्वप्रथम पहल कर दुनिया को राह दिखाने वाले महान विद्वान धन्वन्तरी और चरक "भारतीय" थे |
                        मित्रों भारत के योगदान के विषय में हम जितना लिखें, जितना पढ़ें, जितना जानें, भारत के योगदान का जितना बखान करें वह कम है क्योंकि भारत विश्वगुरु के पद पर सदैव आसीन रहा है और गुरु का ज्ञान सदैव असीमित होता है, अपार होता है | पर अगर कोई व्यक्ति अपने गुरु को संदेह की दृष्टि से देखता है, उसकी क्षमताओं पर शक करता है तो मेरा मानना है की वह अपने विकास को अवरुद्ध करने की ओर पहला कदम रखता है और पतन की ओर अग्रसर होता है, हम कदापि ऐसा कृत्य न करें | बड़ा दुःख होता है जब कोई इस प्रकार का प्रश्न करता है की भारत ने हमें क्या दिया वह भी अगर देश का कोई भावी कर्णधार, कोई युवा कहता है तो वाकई बेहद पीड़ा होती है | ऐसे बेतुके प्रश्न करने वाले यह क्यों नहीं सोचते की "हमने भारत को क्या दिया है" अधिकार तो हमें याद रहता है पर अपने कर्तव्य हम भूल जाते हैं | जाने अनजाने में ही हम अपने देश अपने मातृभूमि का अपमान करते हैं और गर्व से अपने को "भारतीय" कहते फिरते हैं | जरा सोचिये क्या हम वाकई "भारतीय" कहलाने के लायक भी हैं ? मित्रों मेरी नजर में तो "भारतीय" वही है जो "भारत" को जानता है, "भारत" को पहचानता है और "भारत" को मानता है |      
                                               ***जय  हिंद जय भारत***               

9 comments:

  1. भारत ने केवल हमें ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को ज्ञान-विज्ञान, और धर्म-दर्शन का अकूत खजाना दिया है, जिसका गुण आज भी सारी दुनिया गाती है।

    अच्छे आलेख के लिए बधाई।

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  2. भारत संसार का पथ प्रदर्शक रहा है और रहेगा भी। समय का पहिया निरंतर घुमता है बदलाव के साथ। अब फ़िर बदलाव आ रहा है और भारत विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।

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  3. ऐसे बेतुके प्रश्न करने वाले यह क्यों नहीं सोचते की "हमने भारत को क्या दिया है" अधिकार तो हमें याद रहता है पर अपने कर्तव्य हम भूल जाते हैं...

    गौरव जी , बेहद सुन्दर और सामयिक आलेख । ढोंगी भारतीयों को याद दिलाने की ज़रुरत है की उन्होंने आखिर किया है अपने देश के लिए ? उँगलियाँ उठाना बहुत आसन है।

    .

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  4. "मेरी नजर में तो "भारतीय" वही है जो "भारत" को जानता है, "भारत" को पहचानता है और "भारत" को मानता है |"
    भारतीय होने के गर्व से भरा सुन्दर आलेख...

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  5. बहुत ही सुंदर समसामयिक रचना!
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  6. बहुत बढ़िया ....... सटीक प्रासंगिक रचना ..... विचारणीय बात है की अधिकार चाहिए पर कर्तव्य किसी को नहीं निभाना

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  7. देश ने हमें क्या दिया है ये सोचने से पहले यह सोचना चाहिए कि हमने देश को क्या दिया है .
    आपके भाव अच्छे लगे.

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  8. गौरव जी , बेहद सुन्दर और सामयिक आलेख । ढोंगी भारतीयों को याद दिलाने की ज़रुरत है की उन्होंने आखिर किया है अपने देश के लिए!
    बहुत बढ़िया ....... सटीक प्रासंगिक रचना
    बहुत ही सार्थक लेखन है आपका ! आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !

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